Friday, 19 October 2012

दाता हुकम के शिकारी जीवन का अनुभव

ठाकुर श्री भुर सिंह जी शिकार खेलने के बड़े कुशलतापूर्वक कार्यक्रम को सही दिशा में अपने जीवनकाल में जीवनशैली से जी रहे थे तत्कालीन जोधपुर के महाराजा श्री शेर सिंह जी बाली शिकार करने आते उस समय जब वो असफलताओं में आते तब दाता हुक्म ठाकुर श्री भुर सिंह जी को ठिकाना मोटा गुडा बुलवावा [ आमन्त्रण  ] भेजते ,तब आमन्त्रण मिलने पर अपने घोड़ी पर सवार होकर आते और बाली के जंगलो में जब सूअर जाडियो में दौड़ता तब धुड सवारी से कुशलतापूर्वक पूर्वक बलम से दौड़ते हुए सुअर का शिकार करते , कभी कभी रात्रि ठिकाना बोया गाँव निकट बाली में ठहरते .एक बार की बात ठिकाना बोया कभी कभी ठहरना होता उस दौरान ठिकाना मोटा गुडा से बैलगाड़ी से आये सिरदार श्री इंद्र सिंघजी रावले बोया में प्रवेश किया और दरीखाना [ रजवाड़ों की कचहरी ] में देखा की वहीं डाटा हुकम के साफा धोती देख कर पूर्वानुमान लगाया की दाता हुकम नही रहे ,थोड़ी देर बाद कानाफूसी हुई उसी समय दाता हुकम तारत [ मलखाना ,टट्टी के कमरे ] से निवृत होकर बाहर आये तब कही जाकर श्री इंद्र सिंह [ जों आप सी रिश्ते में पोता होते ] जी को विश्वास हुआ की दाता हुकम जिन्दा है .

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