Sunday, 21 October 2012

ठाकुर साहब श्री भुर सिंह जी के तीन संताने हुई थी .

 दाता हुकम ठाकुर श्री भुर सिंह जी ने दो शादिया की थी ,पहली शादी ठिकाना मुंडारा तहसील बाली जाती करनोत राजपूत और दूसरी शादी खुन्डाला उदावत राजपूत जिला -जोधपुर की थी ,उदावत जी से तीन संताने उत्पन्न हुई जिसमे एक  बेटा कुंवर श्री पदम सिंह जी , दो बाईसा राज एक ठिकाना -सांडन्द भनवारानी के पास  जिला -जालोर चंपावत राजपूत गांव ठाकुर साहब के पाटवी बेटे से हुई थी ,ये ठाकुर साहब तेज किस्म के थे इस लिए इनको एक दरोगा [ रावणा राजपूत जिसको कहते है ] दायजवाल मुकना [ मुकन सिंह ] दिया और एक धोड़ी आणा में थी . .इसके चार भाई थे १ स्वंय मुकना [ मुकन सिंह ] २  कस्तुरा [ कस्तूर सिंह ] ३  गनेशा [ गणेश सिंह ] ४  नारणा [ नारायण सिंह ] माता का नाम चंपा बाई , मुकना को आजादी दे दी गई जों आज फालना स्टेशन पर उसका वंश स्वतर्न्त्र रह रहा है . दाता हुकम ठाकुर साहब ने भी इन तीनो भाइयो को दासता से मुक्त किया ,जों छोटा गुडा जाकर बसे ,फिर वहा से पलायन होकर आज बीजापुर स्वतन्त्रता पूर्वक जी रहे है ,हाल कस्तूर बा की औरत तो और उसकी औलाद हमारी सेवाओं रही परन्तु आज उसके लडके ,शिक्षक ,फोज आदि ने नौकरीशुदा हो गये है ,नारायणा के तीन लडके हुए १ छतरा २ गमिया ३ जबरिया जों आज गुजरात में अपना कारोबार कर रहे है , .दुसरे बाई सा को दादाई ठिकाना मेडतिया राजपूत जिला -पाली में शादी कराई थी जों दादाई गाँव ठाकुर साहब के दुसरे बेटे कुंवर साहब थे .  इन दोनों का कन्यादान किया इस के बदले को कोई व्यवहार नही लिया था ..  

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