मुठ
तलवार दो हिस्सों से मिलकर बनती है, पहला मुठ और दूसरा तलवार वो म्यान के अंदर रहती हैं, मुठ का भाग हमेशा खुला रहता है. मुठ विभिन्न प्रकार से सोना, चांदी, हीरे, जवाहरत से जुडी [ सजाई ] रहती है. मुठ के बिना तलवार नहीं बन सकती और तलवार के बिना मुठ किसी काम की नहीं, तलवार अपने आप में तेज धार युक्त उत्तम लोहे की होती वो लोहा जो जंग नहीं पकड़ता हो जल्दी, मुठ और तलवार को जकड़ कर रखने में लाख का महत्व होता है जितनी गुणवता पूर्ण लाख होती उतनी टिकाऊ दोनों का जोड़ होगा. इस बात से हमारे रिस्तो की पकड़ को मेरे दादाजी श्री मान पदम सिंह जी राणावत मुझे बचपन में सिखाते की
रिस्तो के प्रकार
जिस तरह एक मजबूत तेजस्विनी धार युक्त तलवार में जो गुण होने चाहिए वो गुण सामाजिक स्तर पर एक "जाती" का होता हैं, मुठ एक प्रकार से एक किनारा ठाकुर साहब होते है, और दूसरा किनारा तलवार का वो हिस्सा होता वो भाई बन्धु जिससे समाज बनता है. लाख का वो स्थान होता जो देव स्थान से जाना जाता सकता हैं, उस देवता के आराध्य से एक जुड़े होने का हमे बनाये रखता है. म्यान हमारी क्षत्राणीया होती है जो हमारी रक्षा करती हैं. मुठ के म्यान नहीं होती यानि औरतो का प्रितिबंध नहीं होता जहा चाहे जितनी चाहे शादिया कर सकते में समर्थ होते हैं.
एक जमाने में इस गोड्वाड क्षेत्र में मीणा जाती का आतंक रहा था, "बालिया चौहान" का बाहुल बड़ा कमजोर था जब की उनका शासन काल था.
एकलिंगनाथ जी की कृपा से इस प्रकार से गोड वाड में राणावत परिवार ने "बालिया चौहान" का आधिपत्य जीता और अपना शासनकाल उदय किया और वर्तमान काल में शासित हो रहा है.
तलवार दो हिस्सों से मिलकर बनती है, पहला मुठ और दूसरा तलवार वो म्यान के अंदर रहती हैं, मुठ का भाग हमेशा खुला रहता है. मुठ विभिन्न प्रकार से सोना, चांदी, हीरे, जवाहरत से जुडी [ सजाई ] रहती है. मुठ के बिना तलवार नहीं बन सकती और तलवार के बिना मुठ किसी काम की नहीं, तलवार अपने आप में तेज धार युक्त उत्तम लोहे की होती वो लोहा जो जंग नहीं पकड़ता हो जल्दी, मुठ और तलवार को जकड़ कर रखने में लाख का महत्व होता है जितनी गुणवता पूर्ण लाख होती उतनी टिकाऊ दोनों का जोड़ होगा. इस बात से हमारे रिस्तो की पकड़ को मेरे दादाजी श्री मान पदम सिंह जी राणावत मुझे बचपन में सिखाते की
रिस्तो के प्रकार
जिस तरह एक मजबूत तेजस्विनी धार युक्त तलवार में जो गुण होने चाहिए वो गुण सामाजिक स्तर पर एक "जाती" का होता हैं, मुठ एक प्रकार से एक किनारा ठाकुर साहब होते है, और दूसरा किनारा तलवार का वो हिस्सा होता वो भाई बन्धु जिससे समाज बनता है. लाख का वो स्थान होता जो देव स्थान से जाना जाता सकता हैं, उस देवता के आराध्य से एक जुड़े होने का हमे बनाये रखता है. म्यान हमारी क्षत्राणीया होती है जो हमारी रक्षा करती हैं. मुठ के म्यान नहीं होती यानि औरतो का प्रितिबंध नहीं होता जहा चाहे जितनी चाहे शादिया कर सकते में समर्थ होते हैं.
एक जमाने में इस गोड्वाड क्षेत्र में मीणा जाती का आतंक रहा था, "बालिया चौहान" का बाहुल बड़ा कमजोर था जब की उनका शासन काल था.
एकलिंगनाथ जी की कृपा से इस प्रकार से गोड वाड में राणावत परिवार ने "बालिया चौहान" का आधिपत्य जीता और अपना शासनकाल उदय किया और वर्तमान काल में शासित हो रहा है.
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