Friday, 19 October 2012

ठिकाना मोटा गुडा & बड़ा गुडा

ठिकाना मोटा गुडा के श्री ठाकुर दाता हुकम भुर सिंह जी के भतिज जों गुडा गुमानसिंह के पाटवी ठाकुर सरदार सिंह जी थे, जों अपने भाइयो से भी हासल [ टेक्स , लेवी ] लेते थे ,जिसमे श्री ठाकुर भुर सिंह जी ने इसका विरोध के अपने कुए बादला बेरा के अलावा कोई खेत बुवाने से इंकार करके वो ठिकाना भागली जहाँ देवड़ा राजपूत रहते वहा अतिरिक्त खेती करवाते उसी दौरान गुडा गुमान सिंह की बजाय मोटा गुडा के नाम से नामांकरण किया क्योंकि गुडा देवी सिंह जी का गाँव भी पास भाईपा का होने से अपनी पहचान मोटा गुडा के नाम से रखी क्योकि ठाकुर भुर सिंह जी के पिता जी ने भी कभी भाइयो की गुलामी नही की वो भी मेवाड़ भानपुरा ही आना जाना लगा रहता था. उन का देहांत [ स्वर्गवास  ] भी भानपुरा हुआ था .और उनका अंतिम संस्कार मोटा गुडा में किया .बाकि भाइयो ने विरोध स्वरूप में गांव गुडा गुमान सिंह का ठिकाना बड़ा गुडा कर दिया जों सभी अतिरिक्त खेती का टेक्स दिया करते थे..इस कारण आज इस गुडा गुमान सिंह का नाम मोटा गुडा और बड़ा गुडा के नामों से जाना जाता है .शीत युद्ध के बावजूद काका भतिज शिकार में साथ साथ जाते ,कभी कभी तो सरदार सिंह जी शिकार में असफल होते तो दाता हुकम का इंतजार करते और फिर साथ साथ शिकार जाते .कभी कभी भूरा सूअर जिसकी साट खाने से जिनको दस्ते लगती जों कोई खां नही सकते वो ठाकुर श्री भुर सिंह जी पचा ,[ पचाना.,  हजम ] कर लेते  ..

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