Sunday, 17 February 2013

क्षत्रिय और शिकार

 क्षत्रिय और शिकार -  दाता हुकम ठाकुर साहब फुर्माते [ कहते, बताते थें ] थें. की  क्षत्रिय = क्षत्त का अर्थ होता हैं चोट खाया हुआ. जो क्षति से रक्षा करे वह क्षत्रिय कहलाता हैं. [ त्रायते - रक्षा प्रदान करना  ] क्षत्रियो को वन मे आखेट करने का प्रशिक्षण दिया जाता हैं. क्षत्रिय जंगल में जाकर शेर से ललकार कर मुकाबला करता है और आमने सामने बिची, कटारी और तलवार से मुलाबला करता है, और शेर की मृत्यु होने के बाद उस की राजसी ढंग से उस की अंतिम संस्कार करते है. क्यों की शेर को ललकारने और मारने की शिक्षा दि जाती क्योकि कभी कभी धर्मिक हिंसा भी अन्यवारी भी होती जिस के पीछे कारण होता की समाज की रक्षा सफलता पूर्वक की जा सके इस लिए क्षत्रियो को सीधे सन्यास आश्रम ग्रहण करने की कोई विधि या विधान नही हैं,

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