Tuesday, 23 October 2012

ठिकाना बीजापुर

ठिकाना बीजापुर - बीजापुर ठिकाना के तत्कालीन ठाकुर साहब श्री जोग सिंह जी विराजमान थे, उन के दो संताने हुई थी, एक बाईसा हुकम देवी कुंवर जी तथा भंवर श्री देवी सिंह जी, श्री देवी सिंह जी 

ठिकाना बीजापुर से प्रेम

ठिकाना बीजापुर में ठाकुर साहब श्री जोग सिंह जी के बाईसा देवी कुंवर का जब ठिकाना बुसी शादी हो रही थी तब बड़ी बारात आने के कारण अच्छी खातिरदारी के लिए मांस की आवश्यकता थी तब ,आप दाता हुकम के पास एक बकरा करीब १०० किलोग्राम का था. उस बकरे को माँगा तो दाता हुकम के दे दिया ,मांगे जाने का कारण था की छोटे छोटे बकरे बीजापुर ठिकाने में थे. इस बकरे के बदले चाहे जितने ले पधारे का कहा ,परन्तु दाता हुकम श्री भुर सिंह जी इंकार हो गये ,उन्होंने कहा दूर ही सही काका लगता हु ,मेरी भी जवाबदारी बनती है . उस बकरे की विशेषताएं थी की वह इनता भारी था की खड़ा भी नही हो सकता था .जिसको बैलगाड़ी ,[ जिस गाड़ी के पहिए लकड़ी के ही होते ] ,में बैठा कर लेकर पधारें थे . 

Sunday, 21 October 2012

ठाकुर श्री जुन्झार सिंह जी का परिवार

 ठाकुर श्री जुन्जार सिंह जी के चार संताने हूई , बड़े बाईसा द्रियाव कुंवर जी जिनको खांडी ठाकुर श्री रतन सिंह जी जोधा राजपूत से शादी कराई थी .दुसरे नम्बर बाईसा भिक कुंवर जी को ठिकाना सिणली समदडी [ जोधपुर ] में ठाकुर साहब जेलर सा श्री पाबू सिंह जी से करवाई थी ,जीनेके बड़े पुत्र आज पदेन सर्कल स्पेक्टर राजस्थान पुलिस ,थाना ऋषभदेव जिला - उदयपुर में तैनात है . तीसरे नम्बर संतान श्री ठाकुर स्वर्गीय डूंगर सिंह जी,.इन्होने ठिकाना पीलवा चम्पावत जी से शादी की थी , जिनके दो संताने हुई  . दितीय विश्व युद्ध में आप ने भाग लिया था तब सात वर्ष तक जर्मन ,फ़्रांस आदि जगह बिताये ,तब तक घर वालो को पत्ता ही नही था की वे जिन्दा है मुर्दा ,फिर सात साल बाद गाँव पधारे .बाद दूसरी नौकरी ट्रंक ड्राइवर के रूप में की .फिर  तीसरी अपनी नौकरी राजस्थान सरकार के सिचाई विभाग में ड्राइवर के रूप में की थी ,तत्कालीन उनके खलासी के रूप में जीवदा गाँव निकट सेणा के श्री मोपत सिंह जी थे जों आज वर्तमान में पाली जिला से जिला परिषद के मेम्बर पद से है .चौथे नम्बर पर ठाकुर भैरो सिंह जी ने शादी की औसिया भटियानी जी से की जिनके चार संताने हुई .

ठाकुर साहब श्री भुर सिंह जी के तीन संताने हुई थी .

 दाता हुकम ठाकुर श्री भुर सिंह जी ने दो शादिया की थी ,पहली शादी ठिकाना मुंडारा तहसील बाली जाती करनोत राजपूत और दूसरी शादी खुन्डाला उदावत राजपूत जिला -जोधपुर की थी ,उदावत जी से तीन संताने उत्पन्न हुई जिसमे एक  बेटा कुंवर श्री पदम सिंह जी , दो बाईसा राज एक ठिकाना -सांडन्द भनवारानी के पास  जिला -जालोर चंपावत राजपूत गांव ठाकुर साहब के पाटवी बेटे से हुई थी ,ये ठाकुर साहब तेज किस्म के थे इस लिए इनको एक दरोगा [ रावणा राजपूत जिसको कहते है ] दायजवाल मुकना [ मुकन सिंह ] दिया और एक धोड़ी आणा में थी . .इसके चार भाई थे १ स्वंय मुकना [ मुकन सिंह ] २  कस्तुरा [ कस्तूर सिंह ] ३  गनेशा [ गणेश सिंह ] ४  नारणा [ नारायण सिंह ] माता का नाम चंपा बाई , मुकना को आजादी दे दी गई जों आज फालना स्टेशन पर उसका वंश स्वतर्न्त्र रह रहा है . दाता हुकम ठाकुर साहब ने भी इन तीनो भाइयो को दासता से मुक्त किया ,जों छोटा गुडा जाकर बसे ,फिर वहा से पलायन होकर आज बीजापुर स्वतन्त्रता पूर्वक जी रहे है ,हाल कस्तूर बा की औरत तो और उसकी औलाद हमारी सेवाओं रही परन्तु आज उसके लडके ,शिक्षक ,फोज आदि ने नौकरीशुदा हो गये है ,नारायणा के तीन लडके हुए १ छतरा २ गमिया ३ जबरिया जों आज गुजरात में अपना कारोबार कर रहे है , .दुसरे बाई सा को दादाई ठिकाना मेडतिया राजपूत जिला -पाली में शादी कराई थी जों दादाई गाँव ठाकुर साहब के दुसरे बेटे कुंवर साहब थे .  इन दोनों का कन्यादान किया इस के बदले को कोई व्यवहार नही लिया था ..  

Friday, 19 October 2012

श्री सरदार सिंह का गोद जाना

बड़ा गुडा के ठाकुर श्री सरदार सिंह जी को नोक नाम का बेरा मिला था .इनके बड़े भाई गाँव ठाकुरश्री रणजीत सिंह जी थे, जिन्होंने शादी ठिकाना साली, चाणोद के पास की थी . जिनके ओलाद नही होने से अपने भाई सरदार सिंह जी गोद आये .फिर श्री रणजीत सिंह जी को ठिकाने से हाथ खर्ची में मोटा अट नामक बेरा दिया और उस मोटा बेरा [ अट ] श्री मती रणजीत सिंह के स्वर्गवास के बाद में श्री ठाकुर कमल सिंह जी ने अपने कब्जे लिया .   सरदार सिंह जी ने दो शादियां की थी पहली शादी मुंडारा करनोत राजपूत से की और दूसरी शादी कालीजाल से जोधा राजपूत से की जों जोधपुर में स्थित है . मुंडारा के भाणेज मोड़ सिंह जी जिनको दुसरे नाम अर्जुन सिंह जी से जाना जाता था.इन की शादी मालवा में पंवारो का ठिकाना रोसला की इन के थी ओलाद हुई [ १ ] सुआ कुंवर जीजा को  जिनको काकाणी शादी कराई जों इन से काकाणी ठाकूर साहब ने दूसरी शादी की थी  [ २ ] दुसरे नानका बाया को शादी बागावास बाड़मेर कराई ठाकुर किशोर करण जी से इन की भी दूसरी शादी थी   [ २ ] .कालीजाल के तीन भाणेज हुए [ १ ] रसालजी भुआसाइन की शादी सुन्देलाव ठिकाना में हुई  [ २ ] इंदर सिंह जी इन को बेरा कनविरी मिला और [ ३ ] जब्बर सिंह जी इनको बेरा वाडकी मिला भाई बंट में .   

ठिकाना मोटा गुडा & बड़ा गुडा

ठिकाना मोटा गुडा के श्री ठाकुर दाता हुकम भुर सिंह जी के भतिज जों गुडा गुमानसिंह के पाटवी ठाकुर सरदार सिंह जी थे, जों अपने भाइयो से भी हासल [ टेक्स , लेवी ] लेते थे ,जिसमे श्री ठाकुर भुर सिंह जी ने इसका विरोध के अपने कुए बादला बेरा के अलावा कोई खेत बुवाने से इंकार करके वो ठिकाना भागली जहाँ देवड़ा राजपूत रहते वहा अतिरिक्त खेती करवाते उसी दौरान गुडा गुमान सिंह की बजाय मोटा गुडा के नाम से नामांकरण किया क्योंकि गुडा देवी सिंह जी का गाँव भी पास भाईपा का होने से अपनी पहचान मोटा गुडा के नाम से रखी क्योकि ठाकुर भुर सिंह जी के पिता जी ने भी कभी भाइयो की गुलामी नही की वो भी मेवाड़ भानपुरा ही आना जाना लगा रहता था. उन का देहांत [ स्वर्गवास  ] भी भानपुरा हुआ था .और उनका अंतिम संस्कार मोटा गुडा में किया .बाकि भाइयो ने विरोध स्वरूप में गांव गुडा गुमान सिंह का ठिकाना बड़ा गुडा कर दिया जों सभी अतिरिक्त खेती का टेक्स दिया करते थे..इस कारण आज इस गुडा गुमान सिंह का नाम मोटा गुडा और बड़ा गुडा के नामों से जाना जाता है .शीत युद्ध के बावजूद काका भतिज शिकार में साथ साथ जाते ,कभी कभी तो सरदार सिंह जी शिकार में असफल होते तो दाता हुकम का इंतजार करते और फिर साथ साथ शिकार जाते .कभी कभी भूरा सूअर जिसकी साट खाने से जिनको दस्ते लगती जों कोई खां नही सकते वो ठाकुर श्री भुर सिंह जी पचा ,[ पचाना.,  हजम ] कर लेते  ..

दाता हुकम के शिकारी जीवन का अनुभव

ठाकुर श्री भुर सिंह जी शिकार खेलने के बड़े कुशलतापूर्वक कार्यक्रम को सही दिशा में अपने जीवनकाल में जीवनशैली से जी रहे थे तत्कालीन जोधपुर के महाराजा श्री शेर सिंह जी बाली शिकार करने आते उस समय जब वो असफलताओं में आते तब दाता हुक्म ठाकुर श्री भुर सिंह जी को ठिकाना मोटा गुडा बुलवावा [ आमन्त्रण  ] भेजते ,तब आमन्त्रण मिलने पर अपने घोड़ी पर सवार होकर आते और बाली के जंगलो में जब सूअर जाडियो में दौड़ता तब धुड सवारी से कुशलतापूर्वक पूर्वक बलम से दौड़ते हुए सुअर का शिकार करते , कभी कभी रात्रि ठिकाना बोया गाँव निकट बाली में ठहरते .एक बार की बात ठिकाना बोया कभी कभी ठहरना होता उस दौरान ठिकाना मोटा गुडा से बैलगाड़ी से आये सिरदार श्री इंद्र सिंघजी रावले बोया में प्रवेश किया और दरीखाना [ रजवाड़ों की कचहरी ] में देखा की वहीं डाटा हुकम के साफा धोती देख कर पूर्वानुमान लगाया की दाता हुकम नही रहे ,थोड़ी देर बाद कानाफूसी हुई उसी समय दाता हुकम तारत [ मलखाना ,टट्टी के कमरे ] से निवृत होकर बाहर आये तब कही जाकर श्री इंद्र सिंह [ जों आप सी रिश्ते में पोता होते ] जी को विश्वास हुआ की दाता हुकम जिन्दा है .

Tuesday, 16 October 2012

ईमानदारी एवार्ड ब्रिटिश सरकार से और उसका फायदा इंदर सिंह जी को मिला

ठाकुर श्री मान भुर सिंह जी राणावत, ठिकाना मोटा गुडा में भगवान शिव के परम भक्त थे, उनका हर सोमवार को दर्शन और जलाभिषेक करना लक्ष्य निर्धारण था और उस समय के वे बहुत ही बड़े शिकारी थे बंदूक,वलम धारी तो उनका कोई मुकाबला नही था ,कद के नाटे ही थे. हमेशा घुड़सवारी से ही यात्रा किया करते और विशेष कर डाकुओ का पीछा करते डाकुओ का लुटा मॉल उसके मालिकों मालिकाना हक दिलाते थे .श्रीमान को ब्रिटिश सरकार की तरफ से अवार्ड सर्टिफिकेट ईमानदारी का मिला था .वो सर्टिफिकेट भाटून्द को जब इंदर सिंह जी ने लूटा था,उस समय इंदरसिंह जी को ब्रिटिश सरकार ने पकड़ा, तब उन को छुड़ाने में काकानी ठाकुर साहब मान सिंह जी ने महत्वपूर्ण भूमिका ईमानदारी से इस सर्टिफिकेट जरिये ही छुड़ाया था .कानूनन के अच्छे जानकर थे ठाकुर मानसिंह .इस ठाकुर साहब ने  ठिकाना गुडा गुमानसिंह में शादी की थी जों तत्कालीन ठाकुर साहब के अर्जुन सिंह जी राणावत के जवाई सा थे,जिनके वर्तमान पुत्र काकानी ठाकुर साहब श्री मान खिम सिंह जी है ,.काकाणी ठाकुर साहब के साढू बागावास हाल बाड़मेर श्रीमान किशोर करन जी थे.बागावास वाले ठाकुर साहब ने दूसरी शादी की थी इन की पहली शादी हमारे भाईपा का गांव सेणा की थी.इन की तीसरी शादी बांगड़ आमेट के पास मेवाड़ की थी .चोथी .............शादी की .  

गुडा गुमानसिंह

वर्तमान में मोटा गुडा गुमानसिंह जी राणावत हुकम प्रतापसिंगोंत के भाईपा गोडवाड के ठिकाना बेडा के चौदह ठिकाना गाँव लगते है, बेडा से ,नाना दूसरा भाई बंट में हिस्सा मिला सात गाँव बेडा को और सात गाँव नाना ठीकाना में विस्तार हुआ। बेडा से जिसका हिस्सा भाई बंट में ठिकाना बीजापुर ठाकुर श्री बिजय सिंह जी ने बसाया और आगे भाई बंट बीजापुर से श्री गुमान सिंह जी ने अपना ठिकाना गुडा गुमानसिंह के नाम से गाँव बसाया . 

ठिकाना = मोटा गुडा ,गुमान सिंह राणावत

माता बायन को नमस्कार  माता अम्बावजी को नमस्कार ..एकलिंगनाथ जी को नमस्कार                                                                                                        ...आज  ठिकाना = मोटा गुडा ,गुडा गुमानसिंह जी गोडवाड जागीरी स्थापित गांव में मेरा जन्म तत्कालीन ठाकुर श्री भुर सिंह जी के बेटे, श्री कुंवर श्री पदम सिंह जी, के पुत्र भंवर श्री अभय सिंह जी, के पुत्र के रूप, छैल भंवर कुँवर रघुनाथ सिंह का जन्म हुआ .उस समय नामांकरण मेरे काकोसा हुकम श्री कल्याण सिंह जी व् श्री तखत सिंह ईच्छानुसार रखा गया ..अब आगे मोटा गुडा के मेरी जानकारीयों का वर्णन करुगा जों सत्य होगी ....जय श्री दुवार्कानाथ जी की