Sunday, 26 June 2016

महाराणा प्रताप

महाराणा प्रताप
महाराणा प्रताप सिंह उदयपुर, मेवाड में शिशोदिया राजवंश के राजा थे। उनका नाम इतिहास में वीरता और दृढ प्रण के लिये अमर है। उन्होंने कई सालों तक मुगल सम्राट अकबर के साथ संघर्ष किया। महाराणा प्रताप सिंह ने मुगलो को कही बार युद्ध में भी हराया।
जन्म: 9 मई 1540, कुम्भलगढ़
मृत्यु: 29 जनवरी 1597, चावंड उदयपुर
जीवनसाथी: अजबदे पंवार (विवा. 1557–1597), अधिक
बच्चे: अमर सिंह, कुँवर दुर्जन सिंह, शेख सिंह, अधिक
अभिभावक: राणा उदय सिंह द्वितीय, महारानी जैवन्ताबाई
भाई-बहन: जगमाल सिंह, मीर शक्ति सिंह, कुँवर विक्रमदेव, चन्द कँवर, मान कँवर,सागर सिंह
हल्दी घाटी की माटी तो चन्दन है कुछ और नहीं !
भारतवासी तिलक लगाकर गौरव से भर जाते है ,
परदेसी भी नहीं घूमने तीरथ करने आते है !''
 1. हल्दीघाटी का युद्ध मुगल बादशाह अकबर और महाराणा प्रताप के बीच 18 जून, 1576 ई. को लड़ा गया था. अकबर और राणा के बीच यह युद्ध महाभारत युद्ध की तरह विनाशकारी सिद्ध हुआ था. 
2. ऐसा माना जाता है कि हल्दीघाटी के युद्ध में न तो अकबर जीत सका और न ही राणा हारे. मुगलों के पास सैन्य शक्ति अधिक थी तो राणा प्रताप के पास जुझारू शक्ति की कोई कमी नहीं थी.
3. महाराणा प्रताप का भाला 81 किलो वजन का था और उनके छाती का कवच 72 किलो का था. उनके भाला, कवच, ढाल और साथ में दो तलवारों का वजन मिलाकर 208 किलो था. 
4. आपको बता दें हल्दी घाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप के पास सिर्फ 20000 सैनिक थे और अकबर के पास 85000 सैनिक. इसके बावजूद महाराणा प्रताप ने हार नहीं मानी और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करते रहे.
5. कहते हैं कि अकबर ने महाराणा प्रताप को समझाने के लिए 6 शान्ति दूतों को भेजा था, जिससे युद्ध को शांतिपूर्ण तरीके से खत्म किया जा सके, लेकिन महाराणा प्रताप ने यह कहते हुए हर बार उनका प्रस्ताव ठुकरा दिया कि राजपूत योद्धा यह कभी बर्दाश्त नहीं कर सकता.
6. महाराणा प्रताप ने अपने जीवन में कुल 11 शादियां की थीं. कहा जाता है कि उन्होंने ये सभी शादियां राजनैतिक कारणों से की थीं.
7. महाराणा प्रताप को बचपन में कीका के नाम से पुकारा जाता था.
8. महाराणा प्रताप का सबसे प्रिय घोड़ा चेतक था. महाराणा प्रताप की तरह ही उनका घोड़ा चेतक भी काफी बहादुर था.
9.  बताया जाता है जब युद्ध के दौरान मुगल सेना उनके पीछे पड़ी थी तो चेतक ने महाराणा प्रताप को अपनी पीठ पर बैठाकर कई फीट लंबे नाले को पार किया था.आज भी चित्तौड़ की हल्दी घाटी में चेतक की समाधि बनी हुई है.
10. हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप की तरफ से लडने वाले सिर्फ एक मुस्लिम सरदार था -हकीम खां सूरी. 
हल्दीघाटी का युद्ध मुगल बादशाह अकबर और महाराणा प्रताप के बीच 18 जून, 1576 ई. को लड़ा गया था. अकबर और राणा के बीच यह युद्ध महाभारत युद्ध की तरह विनाशकारी सिद्ध हुआ था. ऐसा माना जाता है कि इस युद्ध में न तो अकबर जीत सका और न ही राणा हारे. मुग़लों के पास सैन्य शक्ति अधिक थी तो राणा प्रताप के पास जुझारू शक्ति की कोई कमी नहीं थी. उन्होंने आखिरी समय तक अकबर से सन्धि की बात स्वीकार नहीं की और मान-सम्मान के साथ जीवन व्यतीत करते हुए लड़ाई लड़ते रहे. अकबर के सेनापति का नाम मानसिह था.

Tuesday, 12 January 2016

रिस्तो के प्रकार

मुठ
तलवार दो हिस्सों से मिलकर बनती है, पहला मुठ और दूसरा तलवार वो म्यान के अंदर रहती हैं, मुठ का भाग हमेशा खुला रहता है. मुठ विभिन्न प्रकार से सोना, चांदी, हीरे, जवाहरत से जुडी [ सजाई ] रहती है. मुठ के बिना तलवार नहीं बन सकती और तलवार के बिना मुठ किसी काम की नहीं, तलवार अपने आप में तेज धार युक्त उत्तम लोहे की होती वो लोहा जो जंग नहीं पकड़ता हो जल्दी, मुठ और तलवार को जकड़ कर रखने में लाख का महत्व होता है जितनी गुणवता पूर्ण लाख होती उतनी टिकाऊ दोनों का जोड़ होगा. इस बात से हमारे रिस्तो की पकड़ को मेरे दादाजी श्री मान पदम सिंह जी राणावत मुझे बचपन में सिखाते की
रिस्तो के प्रकार
जिस तरह एक मजबूत तेजस्विनी धार युक्त तलवार में जो गुण होने चाहिए वो गुण सामाजिक स्तर पर एक "जाती" का होता हैं, मुठ एक प्रकार से एक किनारा ठाकुर साहब होते है, और दूसरा किनारा तलवार का वो हिस्सा होता वो भाई बन्धु जिससे समाज बनता है. लाख का वो स्थान होता जो देव स्थान से जाना जाता सकता हैं, उस देवता के आराध्य से एक जुड़े होने का हमे बनाये रखता है. म्यान हमारी क्षत्राणीया होती है जो हमारी रक्षा करती हैं. मुठ के म्यान नहीं होती यानि औरतो का प्रितिबंध नहीं होता जहा चाहे जितनी चाहे शादिया कर सकते में समर्थ होते हैं.

एक जमाने में इस गोड्वाड क्षेत्र में मीणा जाती का आतंक रहा था, "बालिया चौहान" का बाहुल बड़ा कमजोर था जब की उनका शासन काल था.

एकलिंगनाथ जी की कृपा से इस प्रकार से गोड वाड में राणावत परिवार ने  "बालिया चौहान" का    आधिपत्य जीता और अपना शासनकाल उदय किया और वर्तमान काल में शासित हो रहा है.

Thursday, 18 September 2014

हिंदुआ सूरज

रिश्तो के प्रकार
        समाज में समाजवादी मनुष्य प्राय पाया जाता हैं. जिसमें रिश्तो के आधारित रिश्तेदार बनाया जाता हैं. जिस तरह से हिरा सोने में गढा जाता हैं. सोना कैसा होता उसकी परख एक सुनार ही करता वैसे रत्न [ हिरा-पन्ना, मोती-माणक इत्यादिक ] एक जौहरी ही परखता हैं.

       ठीक रत्न और सोना का सत्यापन के बाद ही इनको जड़ा जाता हैं. जिस तरह सोना भी पहनने का सवाल होता की शरीर के किस भाग में पहनना या धारण करना के अनुसार ही बनाया जाता हैं. वैसे ही रिस्तो का राजपूत में  देखा जाता की हमारे लायक अनुसार हैं.

      क्षत्रिय रजोगुण युक्त आहार से अपना शरीर से राज्य तभी भोगता जिस तरह वन में शेर बिना राज्याभिषेक के राज्य करता हैं.

       भौतिक सत्यापन में शेर स्वरूप कीर्तिमान, चिताकर्षण, बल-बुद्धि, स्फूर्ति, जोश-जूनून, उमंग-उत्साह, हर्ष के उपयोग युक्त, युक्ति पुरुष का पुरषार्थ करनेवाले राणा-राजा, महाराणा-महाराजा, राव-उमराव, ठाकुर-मुखिया के नेतृत्व में राज्य, प्रदेश या नगर-गाँव पर शासन से प्रजा का सन्माननीय जीवन होता रजोगुण भोगता के समक्ष जातीय सम्बन्ध का विवाह से रिस्तों मेल-मिलाप होता हैं,

       समय के अनुसार रिश्तो  में परिवर्तन अनुसन्धानो के मध्य बनता बिगड़ता आया जिसको सामाजिक गतिशीलता कहा जाता हैं, रिस्तो में वर्धमान-हास्मान होता आया हैं, फिर भी स्थिर बुद्धिमान व्यक्ति परम्परागत रिवाजो के मूल्यों को बनाये रखने में कठिनाई भरा जीवन जीने में साहस रखा कर संघर्ष से जिया उनका रिश्ता कभी खराव नहीं हुआ वो पृष्टभूमि के क्षत्रिय पृष्टभूमि का गौरव मात्र मेवाड़ ही रहा हैं. और उसका भाईपा राणावत परिवार. 

Tuesday, 25 February 2014

वक्त

समय चक्र रुकता नहीं, समय परिवर्तनशील, आज समय के अनुसार रीती रिवाजों में संशोधन को मान्यता देता मोटा गुडा ठिकाना के सिरदार आधुनिक में वैदिक संस्कार संभाले प्रग्रति के राह में आधुनिक शिक्षा से सम्पन्नता लिए बढ़ रहा हैं.   

Wednesday, 10 July 2013

राणावत

श्री मान रघुनाथ सिंह जी राणावत निवासी ठिकाना सेणा राणावत, बाली पाली राजस्थान नें रिटायर्ड अमिन इन्होनें करीब करीब राजस्थान में सभी जगह पर 1952 सेटलमेंट विभाग में नौकरी के समय भूमि नापने का काम किया.

Saturday, 13 April 2013

समयनुसार

ठिकाना - बेडा और नाना राणावत भाईपा के विधायक 
बाली विधानसभा के विधायक
वर्ष चुने गये विधायक का नाम पार्टी संबद्धता
1.  1951 श्री मान लक्ष्मण सिंह राणावत ठिकाना बेडा ठाकुर साहब निर्दलीय
2.  1977 श्री मान हनवंत सिंह राणावत ठिकाना छोटा गुडा ठाकुर साहब के छोटे और तीसरे नंबर के भाई पादरला पंचायत जनता पार्टी
3.  2003 श्री मान पुष्पेन्द्र सिंह राणावत ठिकाना बीजापुर के ठाकुर साहब भारतीय जनता पार्टी
4. 2008 श्री मान पुष्पेन्द्र सिंह राणावत ठिकाना बीजापुर के ठाकुर साहब भारतीय जनता पार्टी
5. वर्तमान दावेदार श्री मान पुष्पेन्द्र सिंह राणावत ठिकाना बीजापुर के ठाकुर साहब भारतीय जनता पार्टी .

Monday, 8 April 2013

गुडा गुमान सिंह

गुडा गुमान सिंह = सन १९५२ में जमीदारी का सेटलमेंट था उस दौरान , मोटा गुडा, बड़ा गुडा और छोटा गुडा के नामो की नवीनता के मध्यता से आप सी दोनों गाँवो के साथ बीजापुर ठाकुर साहब श्री देवी सिंह जी के साथ सेणा गाँव के युवा अमिन श्री रघुनाथ सिंह जी राणावत के दिशा निर्देशन से तय हुआ की इन गाँवो को आधुनिकीकरण के अनुसार गुडा गुमान सिंह और गुडा देवी सिंह के नाम से राजकीय कामो में उपयोग लिया जाया जाय का निर्णय हुआ. जो अभी तक शिक्षित वर्गी ही इन नामो का उच्चारण का काम लेते हैं ,फिर भी क्षेत्रीय भाषाओं में आज भी गुडा गुमान सिंह गाँव को मोटा गुडा और बड़ा गुडा एवं गुडा देवी सिंह गाँव को छोटा गुडा के नामो से पुकारा जाता है .