रिश्तो के प्रकार
समाज में समाजवादी मनुष्य प्राय पाया जाता हैं. जिसमें रिश्तो के आधारित रिश्तेदार बनाया जाता हैं. जिस तरह से हिरा सोने में गढा जाता हैं. सोना कैसा होता उसकी परख एक सुनार ही करता वैसे रत्न [ हिरा-पन्ना, मोती-माणक इत्यादिक ] एक जौहरी ही परखता हैं.
ठीक रत्न और सोना का सत्यापन के बाद ही इनको जड़ा जाता हैं. जिस तरह सोना भी पहनने का सवाल होता की शरीर के किस भाग में पहनना या धारण करना के अनुसार ही बनाया जाता हैं. वैसे ही रिस्तो का राजपूत में देखा जाता की हमारे लायक अनुसार हैं.
क्षत्रिय रजोगुण युक्त आहार से अपना शरीर से राज्य तभी भोगता जिस तरह वन में शेर बिना राज्याभिषेक के राज्य करता हैं.
भौतिक सत्यापन में शेर स्वरूप कीर्तिमान, चिताकर्षण, बल-बुद्धि, स्फूर्ति, जोश-जूनून, उमंग-उत्साह, हर्ष के उपयोग युक्त, युक्ति पुरुष का पुरषार्थ करनेवाले राणा-राजा, महाराणा-महाराजा, राव-उमराव, ठाकुर-मुखिया के नेतृत्व में राज्य, प्रदेश या नगर-गाँव पर शासन से प्रजा का सन्माननीय जीवन होता रजोगुण भोगता के समक्ष जातीय सम्बन्ध का विवाह से रिस्तों मेल-मिलाप होता हैं,
समय के अनुसार रिश्तो में परिवर्तन अनुसन्धानो के मध्य बनता बिगड़ता आया जिसको सामाजिक गतिशीलता कहा जाता हैं, रिस्तो में वर्धमान-हास्मान होता आया हैं, फिर भी स्थिर बुद्धिमान व्यक्ति परम्परागत रिवाजो के मूल्यों को बनाये रखने में कठिनाई भरा जीवन जीने में साहस रखा कर संघर्ष से जिया उनका रिश्ता कभी खराव नहीं हुआ वो पृष्टभूमि के क्षत्रिय पृष्टभूमि का गौरव मात्र मेवाड़ ही रहा हैं. और उसका भाईपा राणावत परिवार.
समाज में समाजवादी मनुष्य प्राय पाया जाता हैं. जिसमें रिश्तो के आधारित रिश्तेदार बनाया जाता हैं. जिस तरह से हिरा सोने में गढा जाता हैं. सोना कैसा होता उसकी परख एक सुनार ही करता वैसे रत्न [ हिरा-पन्ना, मोती-माणक इत्यादिक ] एक जौहरी ही परखता हैं.
ठीक रत्न और सोना का सत्यापन के बाद ही इनको जड़ा जाता हैं. जिस तरह सोना भी पहनने का सवाल होता की शरीर के किस भाग में पहनना या धारण करना के अनुसार ही बनाया जाता हैं. वैसे ही रिस्तो का राजपूत में देखा जाता की हमारे लायक अनुसार हैं.
क्षत्रिय रजोगुण युक्त आहार से अपना शरीर से राज्य तभी भोगता जिस तरह वन में शेर बिना राज्याभिषेक के राज्य करता हैं.
भौतिक सत्यापन में शेर स्वरूप कीर्तिमान, चिताकर्षण, बल-बुद्धि, स्फूर्ति, जोश-जूनून, उमंग-उत्साह, हर्ष के उपयोग युक्त, युक्ति पुरुष का पुरषार्थ करनेवाले राणा-राजा, महाराणा-महाराजा, राव-उमराव, ठाकुर-मुखिया के नेतृत्व में राज्य, प्रदेश या नगर-गाँव पर शासन से प्रजा का सन्माननीय जीवन होता रजोगुण भोगता के समक्ष जातीय सम्बन्ध का विवाह से रिस्तों मेल-मिलाप होता हैं,
समय के अनुसार रिश्तो में परिवर्तन अनुसन्धानो के मध्य बनता बिगड़ता आया जिसको सामाजिक गतिशीलता कहा जाता हैं, रिस्तो में वर्धमान-हास्मान होता आया हैं, फिर भी स्थिर बुद्धिमान व्यक्ति परम्परागत रिवाजो के मूल्यों को बनाये रखने में कठिनाई भरा जीवन जीने में साहस रखा कर संघर्ष से जिया उनका रिश्ता कभी खराव नहीं हुआ वो पृष्टभूमि के क्षत्रिय पृष्टभूमि का गौरव मात्र मेवाड़ ही रहा हैं. और उसका भाईपा राणावत परिवार.